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पंजाब बजट: ‘आप’ सरकार ने 1.96 लाख करोड़ का बजट पेश किया, जिसमें फ्री बिजली, लाखों नौकरियां जैसे बड़े ऐलान शामिल हैं, पूरी लिस्ट देखें

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने एक 1.96 लाख करोड़ रुपए के बजट का ऐलान किया है। इस बजट में फ्री बिजली देने, लाखों नौकरियां प्रदान करने, स्वास्थ्य और शिक्षा बजट का ऐलान जैसे बड़े ऐलान शामिल हैं।
- पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने 1.96 लाख करोड़ रुपए के बजट का ऐलान किया।
- बजट में 300 यूनिट फ्री बिजली का बजट पेश किया है। इससे गरीब परिवारों को बिजली का बिल भरने में मदद मिलेगी।
- बजट में 2.5 लाख नौकरियों के लिए बजट पेश किया है। इससे नौजवानों को रोजगार का मौका मिलेगा।
- स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए भी अलग-अलग बजट पेश किया गया है। इससे स्कूलों और अस्पतालों की सुविधाएं बेहतर होंगी।
- बॉर्डर एरिया के लिए 40 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है। इससे बॉर्डर क्षेत्रों में विकास की गति तेज होगी।
- कानून व्यवस्था के लिए 10,523 करोड़ का बजट पेश किया है। इससे पुलिस विभाग को बेहतर सुविधाएं दी जाएंगी।
- कपूरथला में सैनिक स्कूल के लिए 3 करोड़ का बजट पेश किया है। इससे सैनिक स्कूल की सुविधाएं और इसकी तरक्की को बढ़ाया जाएगा।
- पंजाब सरकार जल्द नई स्पोर्ट्स नीति लेकर आएगी। इसके लिए सरक
सरकार ने बॉर्डर एरिया के लिए 40 करोड़ रुपए और कानून व्यवस्था के लिए 10,523 करोड़ रुपए का बजट भी रखा है। सैनिक स्कूल के लिए 3 करोड़ रुपए और नई स्पोर्ट्स नीति के लिए 258 करोड़ रुपए का बजट भी है।
Health
माइग्रेन क्या होता है? – लक्षण, कारण, उपचार

माइग्रेन एक तरह का तीव्र सिरदर्द है जो आमतौर पर एक पक्षीय सिरदर्द के रूप में लोगों को अनुभव कराता है। यह दर्द अक्सर एक तरफ़ से शुरू होता है और धीरे-धीरे पूरे सिर में फैलता है। इसके साथ-साथ उल्टी, उँगलियों या पैरों में सूजन और धमाकेदार ध्वनि की संभावना भी होती है।
माइग्रेन के कारण विभिन्न हो सकते हैं जैसे सतही रोशनी, अत्यधिक ध्वनि, तनाव और अधिक उष्मा। व्यक्ति को एक माइग्रेन अवस्था से गुजरने के बाद उसके शरीर में थकान और दुर्बलता बनी रहती है।
माइग्रेन के कारण क्या हैं?
माइग्रेन के कारण विभिन्न हो सकते हैं लेकिन इसमें अधिकतर बार-बार होने वाले कुछ विशेष कारण होते हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य कारण हैं:
- गंध, सतही रोशनी, अत्यधिक ध्वनि और शोर: ऐसी वस्तुओं से माइग्रेन के दर्द की त्रिगर हो सकती है।
- तनाव और दबाव: जीवन में तनाव के कारण भी माइग्रेन के दर्द का सामना करना पड़ सकता है।
- वसा व स्वस्थ आहार की कमी: बढ़ती उम्र, गलत खानपान या कुछ विशेष आहारों की कमी भी माइग्रेन के दर्द का कारण बन सकती है।
- हार्मोनल बदलाव: महिलाओं में मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान हार्मोन के बदलाव के कारण भी माइग्रेन के दर्द का सामना करना पड़ता है।
- अधिक उष्मा और तापमान: ज्यादा गर्मी, तेज धूप या अधिक उष्मा के कारण भी माइग्रेन का सामना करना पड़ सकता है।
इन कारणों के अलावा, व्यक्ति की विशेष स्वभाव और उनके घरेलू एवं व्यावसायिक वातावरण भी माइग्रेन के दर्द का कारण बन सकते है
माइग्रेन के लक्षण क्या हैं?
माइग्रेन के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति अलग हो सकते हैं, लेकिन इसमें कुछ मुख्य लक्षण होते हैं।
- दर्द की भावना: माइग्रेन के दर्द में एक ओर तो दर्द होता है तो दूसरी ओर व्यक्ति को दर्द की तीव्र भावना होती है।
- सिरदर्द: सिर के किसी एक भाग में तीव्र दर्द होता है जो घूमने-फिरने या काम करने में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- साथ ही तीव्र उल्टी, संचित ज्ञान या अस्पष्ट भाषा के विकार हो सकते हैं।
- तेज रोशनी या अत्यधिक शोर से अधिक बढ़ती हुई दर्द की भावना हो सकती है।
- आँखों के सामने छोटी-छोटी चमकीली चमक, गोल या जटिल जलजलाहट की भावना हो सकती है।
- वामन, पेट दर्द, पेट में सूजन या अस्वस्थता भी माइग्रेन के लक्षण हो सकते हैं।
माइग्रेन उपचार क्या है?
माइग्रेन के उपचार में एक अंतर्निहित कारण निकालना, दर्द को कम करना और आवरणीय लक्षणों को दूर करना शामिल होता है। निम्नलिखित कुछ माइग्रेन उपचार हैं:
- दवाइयाँ: माइग्रेन दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाइयाँ होती हैं जैसे कि ट्रायप्टान, बीटा ब्लॉकर्स, और एंटीडिप्रेसेंट दवाएं। लेकिन, दवाइयों का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक होता है।
- घरेलू उपचार: माइग्रेन दर्द कम करने के लिए घरेलू उपचार भी कर सकते हैं। जैसे कि ठंडे पानी से सिर धोना, अदरक का चाय पीना, सोने से पहले ठंडी शावसान लेना आदि।
- आहार और व्यवहार: अपने आहार और व्यवहार में बदलाव करने से भी माइग्रेन दर्द से राहत मिल सकती है। इसमें सोने और उठने का समय, खाने का समय, संतुलित आहार, रिहाई देने वाले व्यायाम, तंबाकू और शराब से बचाव शामिल होता है।
- सुधार की जरूरत वाले कारकों को दूर करें: जैसे कि स्क्रीन के सामने लंबे समय तक बैठना, धूप में बहुत देर रहना, ज्यादा तनाव होना आदि।
- स्नान लें: स्नान करने से शरीर का तापमान नियंत्रित होता है जिससे आपको माइग्रेन से राहत मिल सकती है।
- माइग्रेन लोकप्रिय उपचार: कुछ लोगों को विशेष तरीके से बनाई गई औषधियाँ, जैसे कि जादुई तेल, आयुर्वेदिक दवाएँ, होम्योपैथिक दवाएँ, योग आदि से लाभ मिलता है।
- सही नींद लें: सही नींद लेना माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
- अधिक से अधिक पानी पिएं: शरीर को हमेशा हाइड्रेटेड रखने से माइग्रेन के लक्षणों में कमी आती है।
माइग्रेन उपचार और घरेलू नुस्खों का उपयोग करने से पहले एक डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।
Health
कब्ज क्या है – कारण, लक्षण, और उपचार

कब्ज़ एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो अपच, पाचन तंत्र में बाधा उत्पन्न करती है। इस समस्या में पेट में खराबी के कारण खाने के बाद समय पर वास्तविक विसर्जन नहीं हो पाता है। इससे पेट में अनावश्यक तत्व जमा हो जाते हैं जिससे शुष्कता और कठोरता का अनुभव होता है। यह समस्या भोजन या जीवनशैली में बदलाव, दवाओं के सेवन, या बार-बार पुराने समस्याओं के कारण हो सकती है।
कुछ ज्यादा कब्ज़ लेने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
- अपच या पाचन तंत्र की बाधा
- कम पानी पीना या शुष्कता के कारण ठंड और सूखे मौसम में
- कम फाइबर युक्त आहार, जैसे कि जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, मैदा और मीठा
- कुछ दवाओं और सुधार उपचारों के दौरान कब्ज़ के लक्षण हो सकते हैं।
कब्ज़ से बचने के लिए कुछ आसान उपाय हैं। इनमें शामिल हैं:
- प्रतिदिन कम से कम 8 गिलास पानी पिएं
- फाइबर युक्त आहार जैसे कि फल, सब्जी, अनाज, और दाल का सेवन करें
- व्यायाम करें या रोजाना साँस लेने वाली व्यायाम करें
- बाथरूम जाने से पहले गर्म पानी में थोड़ा नमक डालकर पीने से शुद्धि होती है
- संजीवनी वटी, त्रिफला चूर्ण, अश्वगंधा, नीम और अदरक जैसे आयुर्वेदिक दवाएं लेने से भी लाभ होता है।
कब्ज़ के लक्षण क्या हैं?
कब्ज़ के कुछ लक्षण हैं जो निम्नलिखित हैं:
- पेट में तंदुरुस्ती का अहसास
- पेट में गैस बनना
- पेट में भारीपन या दबाव का अनुभव
- बदबूदार या अपच की समस्या
- अपान वायु में असंतुलन के कारण पेट में दर्द
- पानी और खाने के अंतर से स्टूल की मात्रा में कमी
कब्ज़ के कारण क्या हैं?
कब्ज़ कई कारणों से हो सकता है। निम्नलिखित कुछ सामान्य कारण हैं:
- अपच: खाने का सही पाचन नहीं होना कब्ज़ का मुख्य कारण होता है।
- पानी की कमी: पानी की कमी आमतौर पर पाचन तंत्र को प्रभावित करती है जो कब्ज़ का कारण बन सकती है।
- कम फाइबर युक्त आहार: फाइबर युक्त आहार कम खाने से स्टूल में कमी होती है जो कब्ज़ का कारण बनती है।
- कम व्यायाम: बैठे रहने के कारण स्थितिगति होती है जो कब्ज़ का कारण बन सकती है।
- दवाओं का सेवन: दवाओं के अधिक सेवन से भी कब्ज़ हो सकता है।
रोगों के कारण: कुछ बीमारियां जैसे कि थायराइड, डायबिटीज, इरिटेबल बोवल सिंड्रोम, आदि भी कब्ज़ के कारण बन सकती हैं।
कब्ज़ उपचार क्या है?
कब्ज़ का उपचार निम्नलिखित हैं:
- फाइबर युक्त आहार: फाइबर युक्त आहार का सेवन करना कब्ज़ से छुटकारा पाने का सबसे सरल उपाय है। इसमें अनाज, सब्जियां, फल और दालें शामिल होती हैं।
- पानी की अधिक मात्रा में सेवन: पानी की अधिक मात्रा में सेवन करना पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज़ से छुटकारा पाने में मदद करता है।
- व्यायाम करना: व्यायाम करना भी कब्ज़ से निजात पाने में मदद करता है। रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधियों का सेवन करें।
- प्राकृतिक घरेलू उपचार: इसमें आंवला, त्रिफला, सोंठ, अजवाइन, सेंधा नमक, लहसुन आदि शामिल होते हैं।
- दवाएं: कब्ज़ की समस्या अधिक बढ़ने पर आप अपने चिकित्सक से सलाह लेकर दवाएं ले सकते हैं।
संक्षेप में, कब्ज़ एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो पाचन तंत्र में बाधा उत्पन्न करती है। इससे बचने के लिए पानी, फाइबर युक्त आहार, व्यायाम, और आयुर्वेदिक दवाएं लेना लाभदायक हो सकता है। यदि इन उपायों से भी आराम नहीं मिलता है तो चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।
Health
श्वसन या दमा (Asthma) एलर्जी क्या हैं? उसके लक्षण, कारण और उपचार

श्वसन या दमा (Asthma) एलर्जी क्या हैं? उसके लक्षण, कारण और उपचार एलर्जी एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति के श्वसन मार्ग में जानलेवा परिवर्तन कर सकती है। इसमें व्यक्ति के द्वारा सांस लेने में तकलीफ होती है और यह दिनभर में बढ़ता है। इस समस्या के कारण व्यक्ति को नाक बंद हो जाती है, सांस फूल जाती है और दमा की समस्या भी हो सकती है। इस समस्या का कारण व्यक्ति के श्वसन मार्ग में एलर्जी होना होता है। इसमें विभिन्न कारक शामिल होते हैं जैसे कि धूल, धुएं, वायु प्रदूषण, घास-पौधों के बुढ़ापे और कुछ खाद्य पदार्थ।
इस समस्या को कम करने के लिए कुछ उपाय होते हैं जैसे अपने घर के अंदर हवा को शुद्ध रखना, वायु प्रदूषण को कम करना और एलर्जी वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहना। इसके अलावा विशेषज्ञों के परामर्श और उनके द्वारा दिए जाने वाले दवाइयों का भी उपयोग किया जा सकता है।
श्वसन एलर्जी के लक्षणों में छाती में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, नाक बंद होना, खांसी और थकान शामिल होते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा नुस्खे और दवाइयों का उपयोग किया जाता है।
एलर्जी निवारक दवाएं, एंटीहिस्टामीन दवाएं, नैस दवाएं और इनहेलर या नेबुलाइजर के उपयोग से इस समस्या से निपटा जा सकता है। इनहेलर या नेबुलाइजर दवाओं के उपयोग से दवाओं का अधिक से अधिक खूँटी सीधे फेफड़ों तक पहुंचता है जो श्वसन के माध्यम से लक्षणों को कम करता है।
इस समस्या को शुरूआती अवस्था में ही नियंत्रित करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे दमा जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए अगर आपको श्वसन एलर्जी के लक्षण मिलते हैं तो आपको तुरंत चिकित्सा जाँच करानी चाहिए।
श्वसन एलर्जी से बचने के लिए आपको अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अधिक पौष्टिक भोजन करना चाहिए।
श्वसन एलर्जी कारण क्या हैं?
श्वसन एलर्जी का मुख्य कारण वातावरण में मौजूद धूल, धुएं, धुले, कीटाणु और अन्य अधिक छोटे धुंधले अणु होते हैं जो हमारी नाक और मुंह से श्वसन के दौरान हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। इन विषाणुओं के प्रवेश से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उत्तेजित होती है और उत्तेजना की इस प्रक्रिया से श्वसन एलर्जी के लक्षण प्रकट होते हैं।
इसके अलावा, खाने की वस्तुओं, जैसे शेलफिश, मछली, अंडे और मूंगफली आदि के सेवन से भी श्वसन एलर्जी हो सकती है। अधिकतर लोगों को श्वसन एलर्जी बचपन में होती है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकती है।
अन्य कारणों में वायु प्रदूषण, सिगरेट धुम्रपान या उच्च तापमान जैसे जीवनशैली तथा अधिक शराब और सबसे अधिक अधिक मोटापा है। अगर आपको इन कारणों से संबंधित कोई लक्षण मिलते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
श्वसन एलर्जी लक्षण क्या हैं?
श्वसन एलर्जी के लक्षण व्यक्ति के उम्र, संवेदनशीलता और एलर्जी के कारण के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। लेकिन अधिकतर मामलों में इसके लक्षण निम्नलिखित होते हैं:
- नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना
- छाती में तनाव या दमा की तरह का अनुभव
- सांस लेने में तकलीफ या फूलते हुए सांस लेना
- गले में खराश या खुजली का अनुभव
- सांसों की आवाज फूलते हुए सुनाई देना
- नाक में खुजली और बहुत ज्यादा छींकें आना
- आँखों में खुजली या लालिमा का अनुभव
अधिकतर मामलों में यह लक्षण थोड़े समय के लिए होते हैं और अस्थायी होते हैं। लेकिन कुछ मामलों में यह लक्षण लंबे समय तक बना रहते हैं और इससे व्यक्ति को बहुत तकलीफ होती है। अगर आपको श्वसन एलर्जी के लक्षण हैं, तो आपको एक विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
श्वसन एलर्जी उपाय क्या हैं?
श्वसन एलर्जी के उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:
दवाइयां: श्वसन एलर्जी के उपचार के लिए विभिन्न दवाइयों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि एंटीहिस्टामीन और नॉज़ैल स्प्रे। इन दवाओं का सेवन श्वसन एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
एलर्जी टेस्टिंग: एलर्जी टेस्टिंग से आपको उन चीजों के बारे में पता चलता है जिनसे आप एलर्जी हो सकते हैं। जब आपको इन चीजों से परहेज करना होता है, आप उनसे दूर रह सकते हैं और इससे आपको श्वसन एलर्जी से बचाने में मदद मिलती है।
श्वसन व्यायाम: श्वसन व्यायाम करने से श्वसन से जुड़े दमितियों को मजबूती मिलती है जो आपको श्वसन एलर्जी के लक्षणों से बचाता है।
घरेलू उपचार: श्वसन एलर्जी के उपचार के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी उपलब्ध होते हैं, जैसे कि अदरक का रस, शहद, नीम के पत्ते, शंखपुष्पी और हल्दी।
साफ सुथरा वातावरण: श्वसन एलर्जी से बचने के लिए साफ सुथरा वातावरण महत्वपूर्ण होता है। धूल, धुएं और प्रदूषण के वातावरण से बचने के लिए, एयर प्यूरीफायर और हवा की सफाई जैसे उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।
खाद्य पदार्थों में परहेज: कुछ खाद्य पदार्थ श्वसन एलर्जी को बढ़ावा देते हैं, जैसे कि मक्खन, तेल, फ्राइड फूड और नमक। इन चीजों से बचें और स्वस्थ खाद्य पदार्थ खाएं।
दुर्गंध वाले उत्पादों से परहेज करें: श्वसन एलर्जी में खासकर बार-बार झांकने वाली चीजें जैसे कि परफ्यूम, दोस्त, ब्राउन सुगर, कंडीशनर, हेयर स्प्रे आदि का उपयोग न करें।
डॉक्टर से परामर्श करें: अगर श्वसन एलर्जी के लक्षण अधिक गंभीर होते हैं या यह बार-बार होता है, तो डॉक्टर से परामर्श करना अत्यंत आवश्यक होता है। डॉक्टर आपको सही उपचार और दवाइयों की सलाह देंगे जो आपकी समस्या को हल करने में मदद
अपने शरीर की सुरक्षा को बढ़ाएं: श्वसन एलर्जी से बचने के लिए अपने शरीर की सुरक्षा को बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए, समय-समय पर अपने हाथों को साबुन और पानी से धोते रहें, अपने घर और काम स्थान को साफ रखें, व्यायाम और योग करें, और रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
श्वसन एलर्जी से बचाव के लिए टीकाकरण: श्वसन एलर्जी से बचाव के लिए टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है। इससे शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ खतरनाक इन्फेक्शन से बचा जा सकता है। डॉक्टर से सलाह लेकर अपने बच्चों और खुद को रोगों से बचाने के लिए उपयुक्त टीकाकरण लगवाएं।
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