किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुर्दे में मिलने वाले विषैले पदार्थ या कैल्शियम, यूरिक एसिड और अन्य तत्वों के आधार पर छोटे-छोटे पत्थर के रूप में जमा हो जाते हैं। यह पत्थर आमतौर पर मूत्र नाली से गुजरते समय दर्द या ब्लैडर में नली में दबाव के कारण किसी व्यक्ति को बहुत तकलीफ पहुंचाते हैं। किडनी स्टोन के लक्षण शामिल होते हैं: पीठ या कमर में दर्द, पेशाब में रक्त, पेशाब के साथ आग जलना, बार-बार पेशाब करना, पेशाब में असुविधा या अवसाद महसूस करना। किडनी स्टोन के कारण कुछ निम्नलिखित हो सकते हैं: अधिक वसा या बादामी चीजों का सेवन, कम पानी पीना, अधिक प्रोटीन या नॉन वेज खाने का सेवन, अधिक मात्रा में ऑक्सलेट, कैल्शियम या यूरिक एसिड का सेवन और थायराइड समस्या आदि।
किडनी स्टोन क्या है?
किडनी स्टोन किडनी में एक रुका हुआ पदार्थ होता है जो कि किडनी के अंदर बनता है। यह पदार्थ अधिकतर यूरिक एसिड, कैल्शियम ऑक्सलेट और सिस्टीन के आधार पर बनता है। किडनी स्टोन छोटे हो सकते हैं जो कि अधिकतर स्वचालित रूप से मूत्र द्वारा निकल जाते हैं। लेकिन कभी-कभी ये स्टोन बहुत बड़े हो जाते हैं जो कि किडनी के अंदर अटक जाते हैं और विभिन्न किडनी संबंधी बीमारियों को उत्पन्न कर सकते हैं।
इस समस्या के कुछ सामान्य लक्षण हैं जैसे कि पेशाब के साथ रक्त, तीखा या कटु पेशाब, पेशाब के दौरान दर्द या जलन, उल्टी आदि। अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी होता है, तो आपको तुरंत एक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
किडनी स्टोन का कारण अन्य किडनी संबंधी समस्याओं की तरह होते हैं जैसे कि किडनी इंफेक्शन, अधिक वसा खाना, अधिक मात्रा में उरिन पीना, पूर्ण शरीर में पानी की कमी, विटामिन ड या कैल्शियम की अधिकता आदि।
किडनी स्टोन के प्रकार
किडनी स्टोन कई प्रकार के होते हैं जो कि उनके रूप, आकार और उनके बनने के कारणों पर निर्भर करते हैं। नीचे कुछ प्रमुख किडनी स्टोन के प्रकार हैं:
- कैल्शियम स्टोन: यह स्टोन सबसे अधिक देखे जाने वाले किडनी स्टोन हैं और यह कैल्शियम ऑक्सलेट या कैल्शियम फॉस्फेट के उपयोग से बनते हैं।
- यूरिक एसिड स्टोन: यह स्टोन उच्च यूरिक एसिड स्तर के कारण बनते हैं और आमतौर पर मूत्र में यूरिक एसिड के अधिक मात्रा के कारण होते हैं।
- सिस्टीन स्टोन: यह स्टोन अत्यधिक सिस्टीन नामक एक आमिनो एसिड के कारण बनते हैं जो कि पेशाब में उपस्थित होता है।
- स्ट्रुवाइट स्टोन: यह स्टोन मूत्र में यूरिया, ऑक्सलेट और मैग्नेशियम के संयोग से बनते हैं और आमतौर पर लंबे समय तक जमे रहते हैं।
- अमोनियम मैग्नीशियम फॉस्फेट स्टोन: यह स्टोन बहुत कम देखा जाने वाला स्टोन है जो कि मूत्र में अमोनियम मैग्नीशियम फॉस्फेट के उपयोग से बनते हैं।
किडनी स्टोन के लक्षण क्या हैं?
किडनी स्टोन के लक्षण व्यक्ति के शरीर के अनुसार अलग-अलग होते हैं। हालांकि कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:
- पीठ और पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द: किडनी स्टोन एक तीव्र दर्द का कारण बनते हैं जो अक्सर पीठ और पेट के निचले हिस्से में होता है। यह दर्द एक से दो घंटे तक रहता है और फिर स्वयं ठीक हो जाता है।
- मूत्र में ब्लड: किडनी स्टोन आमतौर पर मूत्र में ब्लड के प्रकट होने का कारण बनते हैं जो कि रक्त के साथ-साथ मूत्र के साथ भी आता है।
- मूत्र समस्याएं: किडनी स्टोन के लक्षणों में शामिल होती हैं मूत्र समस्याएं जैसे कि पेशाब करते समय तकलीफ होना, पेशाब में जलन, पेशाब की मात्रा में कमी आदि।
- उल्टी आना: किडनी स्टोन के मरीजों में उल्टी आने की समस्या भी होती है जो कि एक सामान्य लक्षण है।
- सामान्य अस्वस्थता: किडनी स्टोन के मरीज में अक्सर थकान और थोड़ा सा बुखार जैसी सामान्य अस्वस्थता भी होती है।किडनी स्टोन कारण क्या हैं?
- किडनी स्टोन का कारण व्यक्ति के शरीर के अनुसार अलग-अलग होता है। यहां कुछ सामान्य कारण दिए जाते हैं:
किडनी स्टोन कारण क्या हैं?
- मूत्र संचय का बढ़ जाना: किडनी स्टोन का सबसे बड़ा कारण मूत्र संचय का बढ़ जाना होता है। जब शरीर में पर्याप्त पानी नहीं होता है तो यूरिक एसिड, कैल्शियम व अन्य रासायनिक पदार्थों के संचय होते हैं, जो अंत में किडनी स्टोन के रूप में संचित हो जाते हैं।
- थक्का पानी पीना: थक्का पानी पीना भी किडनी स्टोन का कारण बन सकता है। थक्का पानी पीने से शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है जो कि स्टोन के रूप में जमा होता है।
- बढ़ती उम्र: बढ़ती उम्र भी किडनी स्टोन का कारण बन सकती है। बढ़ती उम्र के साथ, किडनी संबंधी समस्याएं भी बढ़ती हैं।
- अधिक वजन: अधिक वजन और मोटापा भी किडनी स्टोन का कारण बन सकते हैं। अधिक वजन वाले लोगों में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक होती है जो कि स्टोन के रूप में जमा हो सकता है।
गुर्दे में पथरी का उपचार क्या है?
गुर्दे में पथरी का उपचार कुछ निम्नलिखित है:
- दवाइयों का उपयोग: गुर्दे में पथरी के लिए विभिन्न दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है। इन दवाओं में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले यूरिक एसिड को कम करने वाली दवाएं, कैल्शियम स्टोन को गलाने वाली दवाएं, संक्रमण को रोकने वाली दवाएं शामिल होती हैं।
- लेजर या स्वचालित वृत्ती विनिर्देशित संक्षारण: यदि पथरी बड़ी है या उपर बाएं गुर्दे में है, तो इसे निकालने के लिए लेजर या स्वचालित वृत्ती विनिर्देशित संक्षारण जैसी प्रक्रियाएं की जा सकती हैं। इन प्रक्रियाओं में उच्च ऊर्जा द्वारा पथरी को तोड़ा जाता है।
- पानी की मात्रा बढ़ाना: पानी पीने से गुर्दे में मौजूद पथरी को उतारने में मदद मिलती है। अधिक से अधिक पानी पीने से शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद मिलती है।
- आहार में परिवर्तन: अपने आहार में परिवर्तन करने से भी पथरी के उपचार में मदद मिलती है। अधिक मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम और ऑक्सलेट शामिल होने से पथरी का निर्माण होता है। इसलिए आपको उन आहारों का सेवन करना चाहिए जो पथरी को नहीं बढ़ाने देंगे।
- सक्रिय रहना: सक्रिय रहना भी पथरी के उपचार में मददगार हो सकता है। योग, व्यायाम और दैनिक गतिविधियों करने से आपके गुर्दे के स्वस्थ रहने में मदद मिलती है।अधिकतर मामलों में, उपरोक्त उपचारों का उपयोग करके पथरी ठीक हो सकती है। लेकिन यदि आपकी पथरी बहुत बड़ी है
गुर्दे की पथरी का लेजर ऑपरेशन का खर्च
गुर्दे की पथरी का लेजर ऑपरेशन का खर्च विभिन्न कारणों पर निर्भर करता है, जैसे कि ऑपरेशन की जटिलता, शहर का लोकेशन और चिकित्सा संस्थान की नीतियों आदि। आमतौर पर, इस प्रकार के ऑपरेशन का खर्च 30,000 रुपये से शुरू होता है और 1,00,000 रुपये तक जा सकता है।
गुर्दे में पथरी को हटाने के लिए उपलब्ध विभिन्न तकनीकों में से, लेजर से ऑपरेशन सबसे आम तकनीक है जो एक ऊतक संरचना का उपयोग करता है जो फोकस्ड लाइट के जरिए उच्च शक्ति लेजर तक पहुंचने में मदद करता है। यह टेक्नोलॉजी सुरक्षित होती है और आमतौर पर स्थानीय अस्पतालों में उपलब्ध होती है। इस तकनीक का उपयोग करते हुए, चिकित्सक पथरी के टुकड़ों को उच्च शक्ति लेजर से टूटने के लिए दिशा निर्देश करते हैं जो फिर पेशाब के साथ स्वतः ही बाहर निकल जाते हैं। लेजर से ऑपरेशन के बाद, रोगी को अस्पताल में कुछ दिन आराम करने की आवश्यकता होती है।
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